भारत मालदीव विवाद क्या हैं समझे विस्तार से

वर्तमान में भारत और मालदीव के मध्य विवाद चल रहा हैं जो ट्विटर के माध्यम से शुरू हुआ था जिसने अब अंतरराष्ट्रीय रूप ले लिया हैं , दरअसल इस विवाद की शुरुआत का केंद्र लक्ष्यद्वीप रहा है जो कि भारत की एक खूबसूरत जगह हैं चलिए समझते है कि भारत मालदीव विवाद क्या हैं और इसके अलावा आज के आर्टिकल में हम मालदीव देश और लक्ष्यद्वीप के बारे में समझेंगे।

भारत मालदीव विवाद क्या हैं

वास्तविक रूप से देखा जाए तो भारत मालदीव का अच्छा दोस्त हैं लेकिन इस रिश्ते में कड़वाहट की शुरुआत सितंबर 2023 में हुई थी जब मालदीव में राष्ट्रपति के आम चुनाव हुए थे दरअसल इस चुनाव में भारत का समर्थन करने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और भारत का विरोध करने वाले मोहम्मद मोइजू (पीपुल्स नेशनल कांग्रेस उम्मीदवार) के मध्य टक्कर हुई थी जिसमे भारत का समर्थन करने वाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हार का सामना करना पड़ा था , इस चुनाव में मोहम्मद मोईजू की दो प्रमुख बाते भारत से रिश्ते खराब होने के संकेत दे रही थी

  • मोहम्मद मोईजू द्वारा India Out का नारा देना
  • इनके द्वारा मालदीव में मौजूद 70 भारतीय सैनिकों को भारत वापस भेजने को चुनावी वायदे में शामिल करना
  • इसके अलावा मोहम्मद मोइजू ने चीनी कम्युनिस्ट अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था की अगर वह देश के राष्ट्रपति बनते हैं तो मालदीव और चीन के संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा

भारत मालदीव वर्तमान विवाद क्या हैं

वर्तमान विवाद की अगर बात करे तो ये विवाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्यद्वीप दौरे के दौरान हुई थी दरअसल प्रधानमंत्री ने लक्ष्यद्वीप दौरे के दौरान X पर एक ट्वीट किया था कि – जो लोग रोमांचकारी अनुभव लेना चाहते हैं उन्हें अपनी सूची में लक्ष्यद्वीप को अवश्य शामिल करना चाहिए

इस ट्वीट को आने के बाद यूजर्स ने लक्ष्यद्वीप को भारत के पड़ोसी देश मालदीव का बेहतर विकल्प माना था इसी के बाद मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी , मालदीव मंत्रियों ने कहा था की – लक्ष्यद्वीप मालदीव से बेहतर कैसे हो सकता हैं , लक्षद्वीप में इतनी सफाई नही हैं वहा करने से गंध आती हैं , हमारी सुविधाएं लक्ष्यद्वीप से बेहतर हैं इसलिए भारत का हमसे कंपटीशन करने का विचार भ्रम है

इसी अपमान के बाद तमाम भारतीय लोगो ने मालदीव का बॉयकॉट शुरू कर दिया हैं और तमाम लोगो ने मालदीव की बुकिंग और टिकट्स को रद्द कर दिया

भारत मालदीव पुराना इतिहास

भारत और मालदीव के पुराने इतिहास की अगर बात करे तो भारत मालदीव के लिए सदा ही सच्चे हितैषी के रूप में खड़ा रहा हैं जब जब मालदीव को जरूरत हुई हैं तब तब भारत ने मालदीव का साथ दिया हैं

1988 में में मालदीव के विद्रोहियों ने श्रीलंका के पीपल्स लिब्रेशन संगठन के साथ मिलकर देश का तख्ता पलट करने की कोशिश करते हुए देश की राजधानी माले पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद मालदीव ने श्रीलंका, पाकिस्तान , सिंगापुर से मदद मांगी लेकिन इनमें से सभी देशों ने मदद करने से मना कर दिया जिसके बाद भारत ने मालदीव की मदद करते हुए 500 सैनिकों के साथ ऑपरेशन कैक्टस की शुरुआत की और मालदीव को तख्ता पलट से बचाया इस ऑपरेशन में जाबांज भारतीय सैनिकों ने बलिदान भी दिया था ।

  • 2018 में भारत ने मालदीव को 140करोड़ डॉलर की मदद प्रदान की
  • 2020 में चेचक के 30000 टीके उपलब्ध कराने के अलावा भारत सरकार ने covid – 19 के दौरान वैक्सीन से लेकर अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की
  • 2023 में खेलो को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार ने मालदीव को चार करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की

भारत मालदीव स्पेशल फैक्ट्स

  • 1976 की सामुंद्रिक संधि के तहत भारत और मालदीव की समुंद्री सीमाएं तय हैं
  • दोनो ही देश सार्क के संस्थापक सदस्य हैं
  • 1981 में दोनो देशों के मध्य मुक्त व्यापार समझौता हुआ

मालदीव (आर्थिक स्थित)

मालदीव की आर्थिक आय की बात करे तो यह देश आर्थिक रूप से आय के लिए प्रमुख रूप से पर्यटन पर निर्भर हैं जो की मालदीव की जीडीपी में लगभग 25% का योगदान देता हैं इसके अलावा पर्यटन से मालदीव के लोगो को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलता हैं , पर्यटकों की बात करे तो मालदीव के पर्यटकों में भारत का बड़ा योगदान हैं जो लगभग इस प्रकार हैं

Year भारतीय पर्यटकों की संख्या (मालदीव में)
201890 हजार
20191.80 लाख
202063 हजार
20212.91 लाख
20222.41 लाख
20231.93 लाख
इस तरह से भारत के लोग बड़ी संख्या में मालदीव की यात्रा पर पहुंचे और वहा की अर्थव्यवस्था में बडा़‌ योगदान दिया।

मालदीव‌ का आधिकारिक नाम मालदीव गणराज्य है जो कि हिंद महासागर पर स्थित एक द्वीप समूह है भौगोलिक रुप से यह मिनिकॉय आइसलैंड और चागोस द्वीप समूह के मध्य 26 द्वीपो की एक दोहरी चेन है

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