अपना क्या है सब यहां पराया है

हर किसी को ख़ुदा ने 

सोच समझ कर बनाया है

दिन रात कैसे भी कट जाते हैं

ख़्वाब रातों से लिपट जाते हैं

पलकों पे कई ख़्वाबों को सजाया है

किसी को देख एक अलग निखार आया है

ज़िंदगी ने तो दी है हर चीज़ पराई

इस दिल में किसी की तस्वीर बन आई

वो कौन है कहां है ये समझ न आया है

अपना क्या है सब यहां पराया है

हर किसी को ख़ुदा ने 

सोच समझ कर बनाया है

फूल बागों में खुशबू भर देते हैं

चलो इनको भी एक नज़र देख लेते हैं

कौन से फूल ने कौन सा कांटा पाया है 

इन फूलों को कांटों से भी सजाया है 

अपना क्या है सब यहां पराया है

हर किसी को ख़ुदा ने 

सोच समझ कर बनाया है

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