नमस्कार जी मैं शिवांगी शिवी आज लेकर आई हूं एक और शानदार Hindi Poetry जिसके तहत मैने आपको बादलों को गरजते देखा हैं नामक पोस्ट लिखी है
बादलों को गरजते देखा है
आँखों को बरसते देखा है
रातों पर है जिन ख्वाबों का कब्जा
उन्हें बिखरते देखा है
ये शामें ढल जाती हैं
ये रातें भी कट जाती हैं
दिन को जैसे तैसे गुज़रते देखा है
पांव में एक कांटा चुभा है
दर्द हल्का सा हुआ है
दिल को दर्द में तड़पते देखा है
ये आईना तो है बड़ा खूबसूरत
जिसमे लोगों को संवरते देखा है
जिस दिल में होती है कभी बड़ी हलचल
उस दिल को भी हमने ठहरते देखा है
जिन फूलों में लगे हैं कांटे हज़ार
उन फूलों को भी हमने निखरते देखा है
इस दिल में बसी है एक प्यारी सी तस्वीर
जिसे आंखों में उतरते देखा है
बादलों को गरजते देखा है
आँखों को बरसते देखा है
— शिवांगी शिवी
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